Why BSNL is in loss — what is the cause of Jio? — Know the truth
BSNL जिसका टैगलाइन था — कनैक्टिंग इंडिया वो इस तरह टूटेगा शायद ही किसी ने सोचा था। 3G तक की प्रतिस्पर्धा में ठीक ठाक बनी रही BSNL 4G के दौर में मरणासन्न हो गई है। नौबत ये है कि 1 लाख 76 हज़ार कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए BSNL के पास पैसा नहीं है।
सरकार के आगे हाथ पसारे BSNL कैश देने की गुहार लगा रही है।आखिर क्या कारण है कि 2000–2009 तक लगातार फ़ायदे में रही ये संस्था साल-दर-साल नुकसान झेलने लगी। लाखों युवा जिस नौकरी के सपने देखते हैं, आख़िर क्यों वहाँ के कर्मचारी बहाने पर मजबूर हैं? दरअसल सारा खेल शुरू होता है 2007–08 से। BSNL को 2600 MHz फ्रीक्वेंसी पर BWA (Broadband Wireless Access) मिला।2010 में सरकार ने 4G नेटवर्क के लिए नीलामी शुरू की। ये नीलामी 2300 MHz फ्रीक्वेंसी के लिए की गई। इसके बाद एयरटेल ने 2012 में LTE Network पर 4G सेवाएँ शुरू की। BSNL ने सरकार को कहा कि उसे मिली 2600 MHz फ्रीक्वेंसी पर LTE Network के ज़रिए काम नहीं हो पाएगा।
आखिर क्यों देश के नेता ही देश को बना रहे हैं कर्ज़दार
BSNL 2011 के बाद से 2600 MHz फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम वापिस कर रिफंड का गुहार करने लगी।सरकार ने 2014 में BSNL को रिफंड दिया। ये रिफंड ऑपरेशनल खर्चों को चलाने के लिए और पहले से मौजूद 2G और 3G को मजबूत करने के लिए दिया गया। लेकिन अब तक टेलीकॉम सेक्टर की तस्वीर बदल चुकी थी।4G के आने के बाद, जियो का लगभग एकछत्र राज्य शुरू हो गया। और साथ ही शुरू हो गया बाकी टेलीकॉम कंपनियों का अवसान। बाज़ार में BSNL की कुल हिस्सेदारी मात्र 10 फ़ीसदी रह गई है। नीति आयोग ने BSNL को बंद करने का प्रस्ताव दिया लेकिन सरकार ने उसे ख़ारिज़ कर दिया।अब देखना महत्वपूर्ण होगा, कि सरकार अपने इस उपक्रम के बारे में क्या सोच रही है? जियो के प्रचार में मुख्य रूप से दिखने वाले मोदी सरकार का ध्यान उन 1 लाख 76 हज़ार कर्मचारियों की तरफ है, जिनका भविष्य BSNL की ख़स्ता माली हालत के कारण अधर में लटकी है?
कब तक शांत रहोगे,
कुछ तो कभी बोलोगे ही ना (फेसबुक और insta स्टेटस के अलावा)अगर सच में शासन-प्रशासन से परेशान हैं तो Raise Your Voice के मदद से आवाज उठाईए।
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