REET 2016 : एक ऐसी भर्ती जिसमें High Court के दो बार आदेश के बावजूद सरकार ने नहीं जारी की वेटिंग लिस्ट

Moliitcs
4 min readJan 2, 2021

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चुनाव के वक्त बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा होता है, क्योंकि हर राजनीतिक पार्टी को पता होता है कि युवाओं के समर्थन को इस मुद्दे के साथ अपने पाले में किया जा सकता है। लेकिन चुनाव जीतते ही पार्टियां बेरोजगारी का मामला सबसे पहले भूल जाती हैं। राजस्थान प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय अध्यापक सीधी भर्ती-2016 जिसे सरल शब्दों में रीट भर्ती 2016 कहा जा रहा है, वह भी कुछ ऐसी है, अभ्यर्थियों को तो दिन-रात याद रहती है लेकिन सरकार भूल गई है। अभर्थियों की दुख तकलीफ उसे अभी नजर नहीं आ रही है।

ये अपने आप में एक अनोखी भर्ती है, क्यों है इसके लिए आप इसके बारे में पढ़िए। 6 जुलाई 2016 को 4940 शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया। 11 अगस्त 2017 को विज्ञप्ति को संशोधित किया गया और 25 जनवरी 2018 को पहली बार परिणाम जारी किया गया। नियम के मुताबिक पात्र अभ्यर्थियों की सूची के साथ डेढ़ गुना अभर्थियों की सूची जारी होनी चाहिए, लेकिन नहीं हुआ। बीए और रीट के नंबरों को जोड़कर मेरिट जारी कर दी गई। तमाम फर्जी लोगों ने आवेदन 100 में 100 फीसदी नंबर डालकर अप्लाई कर दिया, जिससे वह मेरिट में टॉप कर गए। लेकिन जब डाक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए बुलाया गया तो वह वहां पहुंचे ही नहीं, आखिर पहुंचते भी कैसे, वह तो फर्जी थे।

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सरकार ने इस भर्ती में वेटिंग नियम का पालन नहीं किया, इसलिए 33 सौ के करीब ही सीटें भर पाई, रिवाइज रिजल्ट किया तो ये करीब 4 हजार पोस्ट भर गई। और इस तरह 826 पोस्ट खाली रह गई। पात्र अभ्यर्थी अपनी मांग को लेकर अक्टूबर 2018 में हाईकोर्ट गए, जनवरी 2019 में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने राजस्थान सरकार को आदेश दिया कि वेटिंग सूची जारी करिए। लेकिन वह कहां मानने वाली। सरकार पहुंच गई डबल बेंच, 7 जनवरी 2019 को डबल बेंच में भी सरकार हार गई, सरकार ने बताया कि उसके पास इस भर्ती में 826 पद अभी भी खाली हैं, कोर्ट ने कहा- जब आपके पास पद रिक्त हैं तो इसे भरिए, वेटिंग सूची जारी करिए। लेकिन शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा व अधिकारियों के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था, उन्होंने वक्त बीतने के बाद भी वेटिंग सूची नहीं जारी की।

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5 मार्च 2020 को रतनगढ़ विधायक अभिनेष महर्षि ने बजट सत्र के दौरान विधानसभा में अभर्थियों के की समस्याओं को रखा, उन्होंने बताया कि इस भर्ती के साथ हिन्दी, गणित, विज्ञान के अध्यापकों की भर्ती हो चुकी है लेकिन अग्रेजी के 826 पदों को अभी तक रिक्त रखा गया है। सरकार वेटिंग नियम की अनदेखी करके छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रही है।

अंग्रेजी विषय की एक बार भी वेटिंग लिस्ट नहीं जारी की गई। विभागीय अधिकारी अपनी कमियों को छिपाने के लिए सरकार के मंत्रियों के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए और एसएलपी दायर करके भर्ती को लटका दिया। अब सवाल है कि ऐसा क्यों किया। इसके लिए हमने बात की अधिवक्ता वेदपाल धनौठी जी से, उन्होंने बताया कि सरकार की मंशा है कि रिक्त पड़े पद अगली भर्ती में शामिल कर दिया जाए, हमने पूछा- ऐसा क्यों, नौकरी तो तब भी देनी ही है, वेदपाल जी ने बताया, हो सकता है कि उक्त अधिकारियों के रिश्तेदार इस भर्ती में शामिल हों। वेदपाल जी ने बताया कि अगर इस भर्ती को 2020 वाली भर्ती के साथ शामिल किया गया तो नए पात्र भी शामिल होंगे, नए अभर्थियों के शामिल होते ही मेरिट भी बदल जाएगी, इससे पुराने छात्र बाहर हो जाएंगे। फिर तीन साल से अधिक का वक्त बीत गया, इससे तमाम लोग ओवर एज हो जाएंगे। सारा नुकसान तो पुराने अभ्यर्थियों का ही हुआ।

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27 दिसंबर को कांग्रेस महासचिव अजय माकन जयपुर पहुंचे, वेदपाल धानौठी जी की अगुवाई में अभर्थियों ने उन्हें अपनी समस्या से अवगत करवाया। माकन ने आश्वासन दिया कि जल्द ही अभ्यर्थियों की समस्या का समाधान किया जाएगा,

ये तो था पूरा मामला, एक ही समय पर तमाम भर्तियां पूरी की गई लेकिन अंग्रेजी शिक्षकों की भर्ती को लटकाए रखा गया। शिक्षित समाज बनाने की दिशा में पहला कदम सरकार को बढ़ाना होता है, लेकिन जब स्कूलों में अध्यापक ही भर्ती नहीं किए जाएंगे तो एक उन्नत समाज का निर्माण कैसे होगा? सीएम अशोक गहलोत को अभर्थियों से किए गए वादों पर अमल करना चाहिए। 1000 से ज्यादा दिन बीत जाने के बाद भी काबिल अभ्यर्थी बेरोजगारी के ठप्पे के साथ जी रहा है।

वीडियो देखें — REET 2016 English Waiting List नहीं जारी करने के पीछे कौन? क्या Ajay Maken बदलेंगे किस्मत?

source: https://www.molitics.in/article/759/reet-2016-english-waiting-list-not-released-despite-high-court-order-twice

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