Manipur Violence Explained : What is Meities ST demand? Why Manipur is Burning?

Moliitcs
3 min readMay 8, 2023

--

“उत्तर-पूर्व भारत चौतरफ़ा विकास का गवाह बन रहा है। कभी हिंसाओं के लिए जाना जाने वाला ये इलाक़ा, आज अपने विकास के लिए जाना जा रहा है।” — ये है 26 मार्च 2023 को किया गया मोदी का ट्वीट। अब आगे बढ़िए और ये ट्वीट पढ़िए। My Manipur is Burning. मेरा मणिपुर जल रहा है। ये ट्वीट किया है एम सी मैरीकॉम ने। मुश्किल से एक मीहीना नहीं बीता जब प्रधानमंत्री उत्तर-पूर्व भारत में हिंसा कम होने का ट्वीट कर रहे थे, और आज मणिपूर आग के लपेटों में है। मणिपुर क्यों जल (Manipur Violence) रहा है. वो इस वीडियो में आपको बताते हैं।

विवाद की मुख्य वजह है मैत्तई समुदाय के लोगों द्वारा अनुसूचित जनजाति होने का दर्जा। क्योंकि मणिपुर के 34 अनुसूचित जनजाति समुदायों के लोगों का मानना है कि मैत्तई समुदाय एक विकसित समुदाय है। उनके संसाधनों पर बहुसंख्यक मैत्तई समुदाय का क़ब्ज़ा हो जाएगा। वहीं मैत्तई समुदाय का कहना है कि वो अपने समुदाय का संरक्षण करना चाहते हैं। उच्च न्यायालय ने सरकार को निर्देशित किया है कि मैत्तई समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूचि में शामिल करने पर विचार करे। इसके बाद मणिपुर में रोष बढ़ा और आख़िरकार मणिपुर जलने लगा। 16 में से 8 ज़िलों में कर्फ़्यू है। मोबाइल इंटरनेट बंद है। देखते हीं गोली मारने के आदेश हैं।

हालात ऐसे कैसे हो गए, ये समझने के लिए मणिपुर की डेमोग्राफी समझिए। दो तरह के इलाक़े हैं — मैदानी या घाटी वाला इलाक़ा और पहाड़ी इलाक़ा। मैदानी या घाटी वाला इलाक़ा, मणिपुर के कुल इलाक़े का लगभग 10 फ़ीसदी हिस्सा है। जबकि पहाड़ी इलाक़ा 90 प्रतिशत मणिपुर का निर्माण करता है। मैदानी इलाक़े में बहुतायत में रहते हैं मैत्तई समुदाय के लोग। सामान्य तौर पर हिंदू धर्म को मानते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार मैत्तई समुदाय की जनसंख्या कुल जनसंख्या का लगभग 62 फ़ीसदी हिस्सा है। मतलब मणिपुर की 61 फ़ीसदी जनसंख्या के पास रहने के लिए 10 फ़ीसदी हिस्सा है। क़ानूनी प्रावधानों के कारण पहाड़ी इलाक़ों में विस्तार नहीं कर सकती है। इस कारण से मैत्तई समुदाय के लोग अपने लिए जनजाति का दर्जा चाहते हैं।

अब अनुसूचित जनजातियों के बारे में जानिए। मणिपुर में 34 जनजातियाँ हैं। ये 34 जनजातियाँ राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 38–39 फ़ीसदी हैं। संख्या के हिसाब से मणिपुर की सबसे बड़ी जनजाति भी मैत्तई समुदाय की जनसंख्या का मात्र 14 फ़ीसदी है। मतलब संख्या बल अधिक है मैत्तई समुदाय का। और केवल संख्या बल ही नहीं बल्कि राजनैतिक प्रतिनिधित्व भी मैत्तई समुदाय का ही अधिक है। मणिपुर की विधानसभा की कुल 60 सीटों में से 40 सीटें इम्फ़ाल वैली से आती हैं, जहाँ लगभग मैत्तई समुदाय के ही लोग रहते हैं।

मणिपुर के अनुसूचित जनजाति के लोगों का कहना है कि मैत्तई समुदाय के लोगों में से भी कुछ पूँजीपति लोग अनुसूचित जनजाति की माँग में आगे हैं क्योंकि वो अनुसूचित जनजाति के ज़मीनों पर क़ब्ज़ा चाहते हैं। इससे पहले ऐसे उदाहरण भी मिलते हैं जब मैत्तई समुदाय के लोगों ने अपने लिए अनुसूचित जनजाति के दर्जे के विचार का विरोध किया था।

बड़ा सवाल ये उठता है कि पूर्वोत्तर में विकास के नाम पर जो प्रचार किया गया है, क्या ये हिंसा उसी का परिणाम तो नहीं?

--

--

Moliitcs

#Molitics provides Latest #politicsnews from #India and #politicalcartoon also. Molitics brings to you trending news on #politics.